
24 Jun अपने पिता की सुनना
अंजानो की चाह में
बेफिक्री की राह में
फूल बरसते हैं
कुछ हैं जो ऐसे भी सोचते हैं
अपनों का दिल दूखाना
कर्मो से जी चुराना
और सपनो में गोते लगाना
कुछ तो ऐसा भी करते हैं
अपनी कहना सबकी सुनना
मुश्किलों में भी हंस हंस के जीना
बड़ा मुश्किल है इनको समझना
उनकी आँखों में अपने मलए
तुमने भी
रास्तो को अपने
मंजिलों से मिलते देखा होगा
वो वही हैं जिनके बारे में
हमने तुमने सोचा जरुर होगा
इस दफा उनके संग अकेले में
कुछ वक़्त जरुर गुजारना
अपने पिता की सुनना
जो वो कहे तो
बुरा नहीं होगा
खुद को सुधारना
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